दिल्ली: कौन बनेगा करोड़पति का बारहवां सीजन काफी लोकप्रिय हो रहा है. इसमें कई ऐसे सवाल पूछे गए, जो अच्छे-अच्छे जानकारों के पसीने छुड़ा दें. ऐसा ही एक सवाल खाने की लोकप्रिय डिशेज से जुड़ा हुआ रहा. उत्तर भारतीय रेस्त्रां और रसोई में भी बनने वाले व्यंजन दाल मखनी और बटर चिकन की खोज किसने की. इसके जनक थे पंजाबी शेफ कुंदन लाल गुजराल, जिन्होंने भारतीय जबान में ये बेहद लजीज स्वाद जोड़ दिए. सांकेतिक फोटो
वर्तमान में एक फेमस रेस्त्रां चेन मोती महल डीलक्स की नींव रखने वाले कुंदन लाल गुजराल अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के चकवाल जिले में साल 1902 में जन्मे थे. पिता कपड़े के व्यवसाय में काम करते थे और खानदान में दूर-दूर तक किसी का व्यवसायिक रूप से खाना पकाने से ताल्लुक नहीं था. मैट्रिक के बाद कुंदन लाल ने काम की तलाश शुरू की. पिता के काम में कोई खास बरकत नहीं दिखी, लिहाजा वे खाने के एक छोटे से रेस्त्रां में काम करने लगे.
पाकिस्तान के पेशावर (तब अविभाजित भारत) में ये रेस्त्रां मोती महल के ही नाम से था और उसके मालिक थे मोखा सिंह लांबा. इस रेस्त्रां ने भी कुंदन लाल के रहते कई प्रयोग देखे, जैसे खाने की जगह पर ही तंदूर लगाने वाला ये पहला खाने का ठिया था. इसके बाद तो तंदूर साथ में लगाने का चलन निकल पड़ा. देश विभाजन के बाद कुंदन लाल भी परिवार समेत दिल्ली आ गए. बंटवारे में घर-बार खो चुका ये परिवार यहां-वहां अपनी किस्मत आजमाने लगा. इधर कुंदन लाल ने मोती महल के अपने तजुर्बे का इस्तेमाल किया. उन्होंने दरियागंज में एक ढाबा तैयार किया, जिसे नाम दिया मोती महल. ये दिल्ली के लोकप्रिय रेस्त्रां की शुरुआत थी और साथ ही बेहद लोकप्रिय डिशेज की भी.
कुंदन लाल ने पेशावर में तंदूरी डिशेज ही आजमाई थीं, लिहाजा वे इसी चीज को अपनी खासियत बनाने लगे. साथ ही साथ उन्होंने इसके साथ कुछ नया करने का सोचा. वे तंदूरी चिकन बनाने लगे. इसी के साथ बटर चिकन भी बनाने लगे, जो जल्द ही स्थानीय लोगों के बीच फेमस हो गया और फिर इसकी मांग बढ़ती ही चली गई.
किसी भी नॉनवेजिटेरियन के मुंह में पानी ला देने वाले नॉनवेज तंदूरी व्यंजन बनाते हुए उन्हें लगा कि कुछ बढ़िया व्यंजन शाकाहारी लोगों के लिए भी बनाया जाए. लिहाजा दाल मखनी तैयार हो गई. प्रोटीन के साथ सेहत से भरपूर ये डिश किसी भी रेस्त्रां के उत्तर भारतीय थाली में जरूर रहती है. इस तरह से तैयार हुईं भारतीय पंजाबी खाने की लजीज डिशेज. आज मोती महल की इन डिशेज को सारे ही रेस्त्रां कॉपी कर चुके हैं. लेकिन उस दौर में इन व्यंजनों के मुरीद काफी बड़ी-बड़ी शख्सियतें रहीं, जिनमें भूतपूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी से लेकर मनोरंजन जगत के लोग जैसे राज कपूर और नरगिस भी शामिल हैं. सोवियत संघ (अब रूस) के आखिरी राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव ने भी यहां की बटर चिकन जैसे व्यंजन खूब शौक से खाए थे. फिलहाल कुंदन लाल का पोता, मौनिश गुजराल उनकी विरासत को संभाल रहा है.